चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने अब साइबर स्पेस में भी दस्तक दे दी है। हाल ही में, चीन ने अमेरिका पर साइबर हमलों का आरोप लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संघर्ष और भी गहरा हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव एक संभावित साइबर युद्ध में बदल सकता है, जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका के इस कदम से चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा को गंभीर खतरा हो गया है। चीन ने तीन अमेरिकी सरकारी एजेंटों पर आरोप लगाया है कि वे हेइलोंगजियांग प्रांत में होने वाले एशियन विंटर गेम्स पर साइबर हमले में शामिल थे।
इस बीच, अमेरिका भी चीन के खिलाफ साइबर हमलों में संलग्न है। हाल के महीनों में, चीनी हैकिंग समूहों ने अमेरिकी ऊर्जा, परिवहन और रक्षा क्षेत्रों को निशाना बनाया है। यदि यह व्यापार युद्ध साइबर युद्ध में बदलता है, तो चीन अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ अपनी ताकत बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर ऑपरेशन अब देशों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं, जिसका उपयोग वे अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। अमेरिका के पास भी अत्याधुनिक साइबर हथियार हैं, जो उसे अपने दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम बनाते हैं।
इस बढ़ते साइबर तनाव के बीच, दुनिया को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों सुपरपावर इस स्थिति को कैसे संभालते हैं।